One of the pleasures of playing iPod in shuffle mode is you never know what you are going to hear next. Came across this gem from Jagjit first thing in the morning:
कौन कहता है मोहब्बत की जुबान होती है
यह हकीक़त तो निगाहों से बयां होती है
जिंदगी एक सुलगती सी चिता है साहिल
शोला बनती है ना जलके धुवा होती है
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